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Sunday, December 27, 2009

नशे की आगोश में नवयुवक



ये उन दिनों की बात है जब मई पागल- पागल फिरता था| मेरा ये पागलपन अपनी ज़िन्दगी में अपनी कुछ हस्ती बनाने के लिए कार्यरत था, खुदको स्वतः बनाये हुए कुछ प्रारूपों में ढलने की कोशिश कर रहा था, जिसमे में मेरे गुरु जी श्री अम्बरीश जी ने मेरी मदद की| लेकिन मेरे गुरु जी हर वक़्त तो मेरे साथ नहीं रह सकते है|
मै अपने इस नोट के माध्यम से छात्रावास कि उस गन्दी संस्कृति को उजागर करना चाहता हूँ जो आज कि तारीख में सामान रूप से फ़ैली हुई हैं|
मै अपने ज़िन्दगी कि उस सच्चाई से रूबरू कराना चाहता हूँ जो ना केवल मेरे साथ हुआ किन्तु ये तो आज कल पुरुष छात्रावास का एक आम दृश्य है, अक्सर मेरे को इस परेशानी कि हालत में देखकर मेरे छात्रावास में साथ रहनेवाले लड़के बोलते थे यार एक-दो सिगरेट पि लिया करो, एक कश तबियत मस्त| कभी कबर एक-आद दारू का पैग मार लिया करो सब ठीक हो जायेगा|
क्या सही में यही तरीका है अपनी परेशानी को ख़त्म करने का या हम लोग खुद तो गम राह हैं ही और दुसरो को भी कर रहे हैं, आज कि युवा पीड़ी जो कल को किसी इंजीनियरिंग, मेडिकल या मैनेजमेंट की पढाई के लिए छात्रावास में रहने जा रहे हैं वो इस सभी समस्याओं से खुद ही उबरने की तयारी कर ले|
अंत भला तो सब भला किन्तु तम्बाकू से अंत केवल बुरा ही होता है|
निशीथ

2 comments:

  1. great thoughts good one keep the truth in u alive good going ur blog got many things in the eyes and ears which are usually blocked in the minds only.

    good going keep it up. all the best!!

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  2. thank god people still think like this
    i hope it works and other understand this
    and thankyou for writing this in hindi

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