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Friday, December 18, 2009

जागो हिन्दुस्तानियों अब तो ज़रा संभल कर खर्च करो!

mera ek purana blog jo ab publish kar raha hun sorry... doston...

हम शीघ्र ही भारत के अगले प्रधानमंत्री के स्वागत की तैयारी करने को हैं| चुनावों के पहले जिस मुद्रा-स्फीति की आसमान छूती दर के लिए हम वर्तमान सरकार की कड़ी आलोचना कर रहे थे, उसी मुद्रा स्फीति पर आज कोई चर्चा क्यों नहीं ? यहाँ ये उल्लेखनीय है कि जब वर्तमान में मुद्रा स्फीति कि दर 0.७% है तो ऐसी स्थिति में रोज़मर्रा की घरेलु वस्तुएं में किसी प्रकार कि लेशमात्र भी गिरावट क्यों नहीं दिखाई देती ? वास्तव में यही वह सवाल है जिस पर हमे अपने वित्त मंत्री महोदय को कठघरे में खड़ा करना चाहिए कि जब मुद्रा स्फीति की दर १२.६३% थी, इसका मतलब उस समय बाज़ार में आवश्यक वस्तुओं कि मांग ज्यादा थी और मांग ज्यादा होने के कारण बाज़ार में धन की कमी भी नहीं थी| जब बाज़ार में धन की कमी नहीं थी तो सरकार ने बाज़ार में लिक्विडिटी क्यों बढा दिया गया? और जब बाज़ार में लिक्विडिटी थी तो मुद्रा स्फीति की दर कम कैसे हो गयी?

कुछ अर्थशास्त्रियों का मानना है कि अर्थव्यवस्था की हालत कुछ ऐसी है जिसका ब्लड प्रेशर १३० -१६० हो और अचानक ही 60 -90 हो जाय| इसके बावजूद मेरे जेहन में एक सबल आता है कि जब ब्लड प्रेशर १३० -१६० से ६०- ९० हुआ होगा एक बार तो ज़रूर 80 -120 पर आया होगा और उस मरीज़ जो ज़रूर ही कुछ राहत मिलनी चाहिए थी पर जनता रुपी मरीज़ को कुछ राहत मिली हो ऐसा तो दिखाई नहीं दिया| क्या आपको ऐसा महसूस नहीं होता कि मान० वित्त मंत्री जी ने जो कार्य किये वह केवल दिखावटी थे और हजारो करोड़ रुपये जो रिजर्व बैंक ने दिए वह केवल मान० वित्त मंत्री जी की बैंको को बचाने की नीति है| मंत्री जी इस बात को भूल गए कि बैंक तो तभी चलेगी जब समाज में जनता बचेगी|



निशीथ

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