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Saturday, March 20, 2010

ग्लोबलिजेसन

मेरा जूता है जापानी, ये पतलून इंगलिश्तानी,
सर पर लाल टोपी रूसी, फिर भी दिल है हिन्दुस्तानी|

इस गीत के मधुर शब्द हसरत जयपुरी ने सन १९५५ में ही लिख दिय था लेकिन इस गीत ने अपना सही रंग दिखाना शुरू किया १९९० क बाद,
रंग भी ऐसा की हिंदुस्तान की लड़कियों ने तो अपने वस्त्र धारण करने का अंदाज़ ही बदल डाला, वो लंहगा चुन्नी और वो सर पर घडा रखकर पनघट पर जाना, हे खुदा तुने ये क्या कर दिया|
अपना राष्ट्रिय खेल को छोड़कर वो क्रिकेट के पीछे पड़े हैं, और तो और अपना मुल्क छोड़कर अफ्रीका के जंगलों में चले गए|
मेरे प्रिये मित्र श्री ललित मोदी जी ने एक बार भी ये नहीं सोचा की उनकी इस हरकत से कितने हिन्दुस्तानियों के घर के चूल्हे जलने से पहले ही बुझ गए,
उनके एक निर्णय जो उनके क्रिकेट संघ के पक्ष में था जो संघ दुनिया में सबसे ज्यादा धनि है, उसका लाभ कम ना हो जाये इस खातिर उन्होंने एक ऐसी चाल चली जो न केवल देशविरोधी है ये हरकत तो उन्हें मेरे संज्ञान में एक स्वार्थ से परिपूर्ण है|
श्री ललित मोदी जी ने दर्शको को रिझाने के विदेशी न्रित्यांगंये मंगाई जो की अर्ध नग्न अवस्था में थी,
अगर आप ग्लोबलिजेसन की व्यार सही में ही बहाना चाहते हो तो अपनी सभ्यता का नृत्य भी वहाँ प्रदर्शित भी कर सकते थे, क्या उस नृत्य को प्रचार करने में आपका कोई नुक्सान था|
मेरे ज्ञान के आधार पर श्री मोदी जी तो शायद अपने संघ को लाभ पहुचने के लिए देश का सौदा भी कर सकते हैं|
अब तो जाग जाओ मेरे परये देशवासियों|
मोदी जी मुबारक हो आपको आपका ये पैसा,
मगर मत भूलिए की महात्मा गाँधी तक को उस अफ्रीका देश वालों ने सिर्फ अपमान ही दिया था|

प्रेषक:-
निशीथ
मुख्य संयोजक:-
जागृति
&
यूपीटेक गौरव

हैदराबाद|

2 comments:

  1. Accha aur sahi likha hai, paisa hi sabse bada hai aaj ki duniya me " baap bada na bhaiya, sabse bada rupaiya" gane ko hum charitarth karne pr lage hai !!!!!!!!!!!!!

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  2. bhai use lage hona nahi kehte hain...
    use kehte hai...
    samaj aur saskriti ka baltkar...

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