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Wednesday, April 29, 2015
ज़िन्दगी जो कभी नहीं रूकती|
ये बात आज से कुछ ६ या ७ साल पत्नी बात है, जब मै भी एक आम से ख़ास ज़िन्दगी जीने की इच्छा करता था| ज़िन्दगी ज्यों ज्यों आगे बढ़ती गयी, नए लोग मिले नए चेहरा मिले, नए अनुभव मिले ने दोस्त मिले और नए दुश्मन मिले।
ज़िन्दगी ख़ास तो नहीं बन पायी मगर शायद आम के स्तर से भी नीचे उतरती चली गयी।
तभी हुआ कुछ ऐसा की एक दिन ज़िन्दगी में वो भूचाल आ गया जो शायद आज भी नहीं पता कि सही हुआ या गलत मगर ख़ुशी ये हैं की वो मिल गयी (दूर से ही सही) जिसे शायद मई भी कहीं न कही पहली नज़र में चाहने लग गया था, मोहब्बत परवान चढ़ने ही लगी थी कि एक आम आदमी की ज़िन्दगी में, फिलीपींस में आये तूफ़ान ने तवाही ला दी और वो आम आदमी धराशायी हो गया और आत्मा हत्या के रस्ते खोजने लग पड़ा|
फिर मिला एक नया दोस्त "अमित", और शायद अब ज़िन्दगी ने फिर सांस लेने की इच्छा जताई है, सिद्धार्थ सर हमेशा कहते हैं कि निशीथ मैं और तू एक जैसे हैं जो चाहते हैं वो नहीं मिलता है और अब ऐसा लगने भी लगा की शायद वो जो बात मुझसे पिछले ४ सालों से बोल रहे थे वो सच है।
मुझमे आज भी वो मिलावट नहीं है की किसी और को छह सकु या सोच सकु लेकिन ये ज़िन्दगी के तूफ़ान बहुत बड़े सबक सीखा देते है।
ज़िन्दगी जस की तस तस ही आज भी मेरी, वो आज भी मुझसे दूर और मई उसके सपने देखकर ही खुश हूँ।
ज़िन्दगी इक बार मुझसे दगा दे गयी,
ये सच है यार वो मुझे फ़ना कर गयी।
अमित और सिद्धार्थ, मुकेश और प्रशांत मै जनता हूँ कि आपको धन्यवाद बोलने की जरुरत ही नहीं है।
<3 ग़ज़ल <3
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